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Showing posts from February, 2021

जुडवा गर्भधारणा कैसे होती है

  जुडवाँ गर्भधारणा कैसे होती है ? जुडवाँ बच्चे होना वाकई कुदरत का करिश्मा होता है और इस विषय के बारे में सभी के मन में कौतुहल होता ही है| इस ब्लॉग में हम देखेंगे कि ट्विन्स या जुडवाँ बच्चे कैसे कन्सीव्ह होते हैं और इस के पीछे कारण क्या होता है! वैसे तो जुडवाँ बच्चे पैदा होने की औसत देखी जाए तो २५० में १ जुडवाँ बच्चों की डिलिव्हरी होती है| सब से पहले यह जान लेना जरूरी है कि जुडवाँ बच्चे दो प्रकार के होते हैं: ·           आयडेंटिकल या बिलकुल एक जैसे जुडवाँ बच्चे: ऐसे बच्चों का चेहरा-मोहरा ,  शक्ल-सुरत बिलकुल एक जैसी होती है| ·           नॉन-आयडेंटिकल जुडवाँ बच्चे: इनका प्रमाण ज्यादा होता है |  इन जुडवाँ बच्चों का जन्म जरूर एक साथ होता है लेकिन ये एक दूसरे से दिखने में, हावभाव में भिन्न होते हैं| ये दोनों प्रकार एक दूसरे से अलग होते हैं| अब देखते हैं कि ये कैसे कन्सीव्ह होते हैं! ·           नॉन- आयडेंटिकल जुडवाँ बच्चों को डाय-झायगोटिक ट्विन्स भी कहा जाता है| ये तब कन्सीव्ह होते हैं जब दो अलग अलग एग्स को दो स्पर्म फ़र्टिलाइज (निषेचन) करते हैं| नैसर्गिक रूप से किसी महिला के दो बीज एक साथ पर

IVF और जुडवा बच्चे होने की संभावना

  फरवरी विशेष ब्लॉग्स: जुडवाँ गर्भधारणा जागृती मालिका IVF  और जुडवाँ बच्चे होने की संभावना फरवरी के इस माह में हम एक ऐसे विषय के बारे में जानेंगे जिसे लेकर मन में कई भ्रांतियाँ, कई सवाल होते हैं: टेस्ट ट्यूब बेबी और ट्विन्स याने कि जुडवाँ बच्चे होने की संभावना! कई बार  IVF  कराने के लिए जो दंपती आते हैं उन्हें जुडवाँ ही हो तो चाहिए होते हैं और कुछ दंपती इसी बात से डरे होते हैं की  IVF  में जुडवाँ होने की संभावना होती है| इसीलिए ये बातें जान लेना आवश्यक है: ·           कितने प्रतिशत ट्विस होते हैं? ·           क्या इसका निर्धारण तथा नियंत्रण डॉक्टर के हाथ में होता है या नहीं? ·           क्या ट्विन प्रेग्नंसी कम करने के लिए कोई उपाय    है? जुडवाँ बच्चे होना,  IVF  का एक अनिर्धारित परिणाम है |  कोई भी डॉक्टर  IVF  करते समय नहीं चाहता कि जुडवाँ गर्भधारणा हो क्यूँकि एक स्वस्थ शिशु और स्वस्थ गर्भावस्था और प्रसूती हासिल करना, हर डॉक्टर का  मकसद होता है| लेकिन ऐसा होना किसी के हाथ में नहीं होता| IVF  प्रक्रिया में जुडवाँ होने की संभावना अधिक होती है क्यूँकि इस प्रक्रिया में फलन और भ्रूण विकसन