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Showing posts from January, 2021

वीर्य की जांच

  पुरुषों के वीर्य की जाँच से संबंधित महत्वपूर्ण बातें   वीर्य की जाँच, संतानहीनता के उपचार में एक बेहद ही आवश्यक और महत्वपूर्ण जाँच है |  यह जानना बहुत जरूरी है कि यह जाँच: ·           किस तरह से की जानी चाहिए? ·           इसका सँपल इकट्ठा करने का सही तरीका क्या है? ·           किस तरह की लैब में यह जाँच करवानी चाहिए ? ·           इसके रिपोर्ट बनाने के मानक क्या हैं ? ·           रिपोर्ट को समझना कैसे चाहिए ? गर्भधारणा होने में महिला जितना ही सहभाग पुरुष का होने के कारण ,  संतानहीनता की समस्या में अक्सर डॉक्टर वीर्य की जाँच सबसे पहले करवाते हैं| यह जाँच करते हुए इन बातों का ध्यान रखना चाहिए: ·           जितना हो सके उतना लैब के समीप सँपल इकट्ठा करना चाहिए क्यूँकि इकट्ठा करने के आधे घंटे के अंदर जाँच शुरू हो जानी चाहिए| इसका यह कारण है कि समय के साथ स्पर्म्स की मोटीलिटी याने आगे बढने की क्षमता कम होती जाती है| अगर परीक्षण करने में देर हो जाए तो रिपोर्ट सही नहीं आएगी| ·           सँपल को हस्तमैथुन से इकट्ठा करना चाहिए |  अगर पुरुष को इरेक्शन की कोई समस्या है तो पत्नी भी सहायक हो सकती है

शुक्राणु की गुणवत्ता कैसे बढाएं

  शुक्राणु की गुणवत्ता कैसे बढ़ाएँ अक्सर देखा गया है की पुरुषों में जो संतानहीनता पायी जाती है उसका एक कारण शुक्राणु की यथायोग्य गुणवत्ता न होना, यह भी है| शुक्राणु की गुणवत्ता कैसे बढाई जा सकती है यह जानने के लिए आगे जरूर पढ़ें| आज कल स्पर्म की गुणवत्ता में लगातार होती गिरावट दिख रही है और इसीलिए इस विषय के बारे में जानकारी होना बहुत आवश्यक है| इस बात की ओर गौर किया नहीं जाता और केवल महिला की ही जाँचें ,  उपचार किए जाते हैं और पुरुषों के शुक्राणु की गुणवत्ता के बारे में विचार नहीं किया जाता जो संतानप्राप्ती के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण घटक है| शुक्राणु की जाँच करवाते समय ,  यह जाँच कहाँ की जाती है ,  यह बात भी बहुत मायने रखती है |  टॉयलेट में इकट्ठा किया हुआ वीर्य या आधे घंटे के बाद की गयी जाँच सही निष्कर्ष नहीं बता सकेगी| इसलिए बहुत जरूरी है की वीर्य की जाँच ऐसे लैब में कराएँ जो स्टेरलाइज्ड हो और जहाँ  WHO  के २०१० के मानकों का पालन किया जा रहा हो| अगर गुणवत्ता बढानी है तो पहली प्राथमिक जाँच पूरी तरह से सही होना बहुत जरूरी है| पहले हम उन उपायों के बारे में जान लेंग   जो जीवनशैली स

Azoospermia

 अ झुस्पर्मिया और संतानहीनता किसी भी दंपती को जब संतानहीनता की समस्या का सामना करना पड़ता है तो डॉक्टर सब से पहले पती के वीर्य की जाँच करवाने की सलाह देते हैं| इस जाँच से अॅझुस्पर्मिया याने शून्य शुक्राणु प्राप्त होने की स्थिती का पता चलता है और यह यकीनन संतानहीनता का एक प्रमुख कारण है| इस स्थिती में वीर्य में शून्य शुक्राणु जीवित मिलते हैं| अगर शुक्राणु की संख्या शून्य या नहीं के बराबर है तो जाहीर है कि गर्भावस्था आने में दिक्कत होगी| इससे दंपती बहुत ही निराश हो जाते हैं लेकिन अब ऐसी स्थिती में भी संतान प्राप्त करना संभव है| अझुस्पर्मिया के प्रकार: सामान्य परिस्थिती में स्पर्म लगातार टेस्टीस में बनते रहते हैं| लेकिन अॅझुस्पर्मिया की समस्या में वीर्य में शुक्राणु पाए नहीं जाते| अॅझुस्पर्मिया की समस्या प्रमुखत: दो प्रकार की होती है: १.         ऑब्सट्रक्टीव अझुस्पर्मिया ऑब्सट्रक्टीव अॅझुस्पर्मिया की जो स्थिती होती है उसमें टेस्टीस में शुक्राणु की निर्मिती तो बराबर होती रहती है लेकिन मार्ग में किसी रुकावट के कारण शुक्राणु वीर्य में बाहर नहीं आ पाते| २.         नॉन-ऑब्सट्रक्टीव अझुस्पर्मिया