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Showing posts from July, 2021

लैप्रोस्कोपी शस्त्रक्रिया: एक वरदान

 निराश ना हो: लैप्रोस्कोपी से फायब्रॉइड्स का इलाज हो गया आसान! हमारे अब तक के ब्लॉग्ज से आप जान चुके हैं कि फायब्रॉइड्स की वजह से संतानहीनता हो सकती है| पर यह भी यकीनन सही है कि इनका इलाज हो सकता है और फायब्रॉइड्स होकर भी संतानसुख प्राप्त किया जा सकता है| जब महिला के शरीर में कुछ ऐसे फायब्रॉइड्स होते हैं जिनका साइझ और स्थान संतानप्राप्ती में समस्या कर रहे हो तो उन्हें निकालना आवश्यक हो जाता है| पहले तो इसके लिए पेट को खोलकर शस्त्रक्रिया करने का एकमेव पर्याय उपलब्ध था| पर आज, लैप्रोस्कोपिक मायोमेक्टमी याने दूर्बीन से की जानेवाली शस्त्रक्रिया की वजह से इस क्षेत्र में क्रांती आयी है|  फायब्रॉइड्स याने बच्चेदानी की गठानें या ट्यूमर्स होते हैं| इसकी वजह से ज्यादा ब्लीडिंग होना, लंबे समय तक माहवारी चलती रहना, दर्द होना तथा संतानहीनता होना; ये समस्याएँ आम तौर पर देखी जाती है| फायब्रॉइड्स निकालने के बाद अक्सर प्रेग्नंसी रह जाती है और इसलिए फायब्रॉइड्स का प्रकार, स्थान और साइझ देखकर इन्हें निकालना जरूरी हो जाता है| लैप्रोस्कोपिक मायोमेक्टमी में यूट्रस को बिलकुल नुकसान पहुँचाए बिना ये गठानें निक

क्या फायब्रोइड होना याने संतानहीनता??

 क्या फायब्रॉइड्स याने संतानप्राप्ती में निराशा? क्या संतानहीनता का एक कारण फायब्रॉइड्स हो सकता है? यह सवाल अनेक महिलाओं को सताता रहता है| आज हम देखेंगे: • क्या फायब्रॉइड्स या बच्चेदानी की गठानों की वजह से संतानहीनता होती है? • अगर किसी महिला को यह शिकायत है तो उसका उपचार कैसे किया जा सकता है? • फायब्रॉइड्स किस तरह से संतानहीनता का कारण बनते हैं? फायब्रॉइड्स याने यूट्रस की गठानें बहुत की आम समस्या है| ३० से ४० आयु की ३०% महिलाओं को इन गठानों की समस्या होती है और ५-१०% महिलाओं को संतानहीनता होती है| उसमें से कई महिलाओं को फायब्रॉइड्स भी होते हैं| तब उनके सामने दो प्रकार की समस्याएँ होती हैं कि क्या फायब्रॉइड्स की वजह से संतानहीनता हो रही है और दूसरी समस्या यह होती है कि फायब्रॉइड्स को पूरी तरह से नजरंदाज करके संतानहीनता के उपचार किए जाते हैं और इसलिए अपेक्षित फल प्राप्त नहीं होता है| यह समझना इसीलिए बेहद जरूरी है कि कौनसे फायब्रॉइड्स की वजह से संतानहीनता होती है|  इन फायब्रॉइड्स का उपचार कैसे किया जा सकता है और फिर संतानहीनता की समस्या कैसे सुलझायी जा सकती है| यह समझ लेना जरूरी है

फायब्रॉइड के कारण, लक्षण और उपचार

  फायब्रॉइड के कारण ,  लक्षण और उपचार महिलाओं के स्वास्थ्य समस्याओं की बात की जाए, तो जुलाई महीने की एक विशेष पहचान है| जुलाई का महीना फायब्रॉइड अवेअरनेस मंथ याने फायब्रॉइड के विषय में जागृती लानेवाले महीने के रूप में जाना जाता  है| इस समस्या से परेशान सभी महिलाओं को सहयोग देने  का , इस विषय  में उन्हें सही और अधिक जानकारी देने का इस महीने में हमारा प्रयास है| फायब्रॉइड क्या होता है ? फायब्रॉइड याने बच्चेदानी की गठानें होती हैं| ये गठानें कॅन्सर की नहीं होती; बेनाइन होती हैं| फायब्रॉइड को गठान या रसौली जैसे नाम से जाता है| यह समस्या इतनी आम है कि ३० से ४० की आयु में ३० प्रतिशत महिलाओं को यह शिकायत होती है| फायब्रॉइड के प्रकार: बच्चेदानी की दो परतें होती हैं: अंदरी परत एंडोमेट्रीयम और बाहरी मायोमेट्रीयम! इनमें जो स्नायु की परत होती है ,  वहाँ से ये ट्यूमर या गठानें निकालने लगती हैं| अगर ये गठानें अंदर की परत की ओर बढती है तो उन्हें सबम्यूकस कहा जाता है ,  दोनों परतों के बीच हो तो इंट्रा-म्यूरल कहा जाता है और बाहर की तरफ हो तो सबसिरस फायब्रॉइड कहा जाता है| फायब्रॉइड होने के कारण: वैसे तो