क्या फायब्रॉइड्स याने संतानप्राप्ती में निराशा?
क्या संतानहीनता का एक कारण फायब्रॉइड्स हो सकता है? यह सवाल अनेक महिलाओं को सताता रहता है| आज हम देखेंगे:
• क्या फायब्रॉइड्स या बच्चेदानी की गठानों की वजह से संतानहीनता होती है?
• अगर किसी महिला को यह शिकायत है तो उसका उपचार कैसे किया जा सकता है?
• फायब्रॉइड्स किस तरह से संतानहीनता का कारण बनते हैं?
फायब्रॉइड्स याने यूट्रस की गठानें बहुत की आम समस्या है| ३० से ४० आयु की ३०% महिलाओं को इन गठानों की समस्या होती है और ५-१०% महिलाओं को संतानहीनता होती है| उसमें से कई महिलाओं को फायब्रॉइड्स भी होते हैं| तब उनके सामने दो प्रकार की समस्याएँ होती हैं कि क्या फायब्रॉइड्स की वजह से संतानहीनता हो रही है और दूसरी समस्या यह होती है कि फायब्रॉइड्स को पूरी तरह से नजरंदाज करके संतानहीनता के उपचार किए जाते हैं और इसलिए अपेक्षित फल प्राप्त नहीं होता है|
यह समझना इसीलिए बेहद जरूरी है कि कौनसे फायब्रॉइड्स की वजह से संतानहीनता होती है| इन फायब्रॉइड्स का उपचार कैसे किया जा सकता है और फिर संतानहीनता की समस्या कैसे सुलझायी जा सकती है|
यह समझ लेना जरूरी है कि फायब्रॉइड्स किस तरह संतानहीनता का कारण बनते हैं| फायब्रॉइड्स तीन तरह के होते है:
• सबम्यूकस फायब्रॉइड्स जो बच्चेदानी के अंदर होते हैं
• इंट्राम्यूरल फायब्रॉइड्स जो बच्चेदानी की दो सतहों के बीच होते हैं
• सबसिरस फायब्रॉइड्स यूट्रस की बाहर की सतह पर होते हैं
सबम्यूकस फायब्रॉइड्स ज्यादातर संतानहीनता का कारण बनते हैं क्योंकि वे भ्रूण को बच्चेदानी में इम्प्लांट नहीं होने देते| इससे यूट्रस के रक्तप्रवाह में गडबड हो जाती है, सूजन हो जाती है और हॉकस्टेन जीन्स जैसे कुछ जीन्स होते हैं जो भ्रूण के इम्प्लांट होने के लिए जरूरी होते हैं, वे भी इन फायब्रॉइड्स की वजह से अनियंत्रित हो जाते हैं| यदि किसी महिला को सबम्यूकस फायब्रॉइड्स है या ऐसा इंट्राम्यूरल फायब्रॉइड है जो कैविटी को धकेल रहा है तो इससे निश्चित ही संतानहीनता हो सकती है और ऐसे फायब्रॉइड्स को निकालना ही पडता है| इंट्राम्यूरल फायब्रॉइड्स हर बार संतानहीनता का कारण नहीं होते| यदि उनका साइझ ५ सेंटीमीटर से अधिक है या उनका एक सिरा बच्चेदानी की दीवार के बहुत निकट आ रहा है तो तभी इनकी वजह से संतानहीनता हो सकती है|
अत: संतानहीनता के उपचार के लिए सबम्यूक्स फायब्रॉइड्स को निकालना बहुत आवश्यक होता है| इंट्राम्यूरल फायब्रॉइड्स का आकार और प्रकार देखकर निर्णय लेना पडता है| सबसिरस फायब्रॉइड्स आम तौर पर संतानहीनता का कारण नहीं होते और उन्हें संतानहीनता के उपचार के लिए निकालना आवश्यक नहीं होता| अगर उनका साइझ बडा हो, वे अन्य अन्य अवयवों पर ज्यादा दबाव रहें हो या अन्य कोई समस्या हो तो ही निकाला जाता है, संतानहीनता के लिए नहीं|
उपचार:
किस तरह के फायब्रॉइड्स को उपचार की जरूरत है यह तय करने के लिए इन घटकों पर विचार किया जाता है:
• साइझ: यदि फायब्रॉइड्स का साइझ ५ सेंटीमीटर से अधिक हो तो उन्हें निकलना जरूरी हो जाता है|
• स्थान: फायब्रॉइड बच्चेदानी के अंदर कहाँ है, यह भी उपचार के लिए देखना बहुत जरूरी होता है| यदि वह अंदर की ओर है तो साइझ छोटा होने पर भी उसे निकालना पडता है| यदि फायब्रॉइड्स बाहरी सतह पर होते हैं तो निकलना जरूरी नहीं होता|
• फायब्रॉइड्स की टेंडंसी: यदि किसी महिला में फायब्रॉइड्स बनने की टेंडंसी होती है तो पूरे यूट्रस में कई बार छोटे छोटे फायब्रॉइड्स होते हैं| इन सब को निकालना मुश्किल होता है और यदि निकाला भी जाए तो इससे यूट्रस की दीवार कमजोर हो जाती है|
इस तरह उपचार करने से पहले डॉक्टर फायब्रॉइड्स का साइझ, स्थान और संख्या इन तीनों बातों के विषय में सोचकर निर्णय लेते हैं| साथ ही अन्य घटकों को भी ध्यान में लिया जाता है, जैसे कि:
• महिला की आयु
• पती का सिमेन विश्लेषण
• फॅलोपियन ट्यूब्ज खुली हैं या नहीं
संतानहीनता के उपचार का निर्णय लेने के लिए केवल फायब्रॉइड्स पर गौर करना काफी नहीं बल्कि पूरी परिस्थिती को विचार में लेना आवश्यक होता है| अगर यह निश्चित हो जाता है कि फायब्रॉइड्स की वजह से संतानहीनता है और उनका उपचार जरूरी है, तो क्या पर्याय उपलब्ध होते हैं:
• दुर्दैव से इस में वैद्यकीय उपचार सुझाया नहीं जाता| कई दवाइयों से फायब्रॉइड्स घुल जाते हैं पर संतानहीनता के मरीजों को यह देना अभी श्रेयस्कर नहीं समझा जाता|
• जीएनआरएच अॅगोनिस्ट नामक एक इंजेक्शन होता है जो फायब्रॉइड्स को मिटाता नहीं पर कुछ काल के लिए उनका साइझ कम कर देता है जिस दौरान आयवीएफ किया जा सकता है|
• ९९% केसेस में उपचार के लिए मायोमेक्टमी शस्त्रक्रिया की जाती है| इसमें बच्चेदानी के अंदर के फायब्रॉइड्स निकाले जाते हैं और बच्चेदानी को फिर से रिपेअर किया जाता है| यह शस्त्रक्रिया आज कल लैप्रोस्कोपी से की जाती है| यह अतिशय सुरक्षित होती है, रिकव्हरी भी जल्द होती है और २-३ महीनों में प्रेग्नंसी के लिए कोशिश शुरू की जा सकती है|
यह अवश्य ध्यान में रखिए की फायब्रॉइड्स की समस्या बहुत ही आम है| इसलिए मायूस हुए बिना अपने डॉक्टर की सलाह, मदद और उपचार से आप अवश्य संतानसुख प्राप्त कर सकते हैं|
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