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ART Bill 2022 – IVF का नया क़ानून

 ART Bill 2022 – IVF का नया क़ानून २५ जनवरी २०२२ यह तारीख भारत में टेस्ट ट्यूब बेबी या IVF के क्षेत्र में और इनफर्टिलिटी के इतिहास में एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण तारीख है। इस दिन ART और सरोगेसी बिल सरकार के द्वारा लागू कर दिया गया है। अब यह बिल क्या है, किस तरह से संतान हीन दंपत्तियों के इलाज पर इसका असर पड़ेगा, इस बिल के बारे में आप लोगों को क्या जानना आवश्यक है और इस बिल के बाद IVF अस्पतालों की क्या जिम्मेदारियां रहेंगी, यह सब हम आज इस पोस्ट के माध्यम से जानेंगे। जब भी हम कोई भी काम करते है, तो हम क़ानून के दायरे में रहकर वह करना चाहते है। टेस्ट ट्यूब बेबी, सरोगेसी, इनफर्टिलिटी यह क्षेत्र हमारे देश में पुरे विश्व की तरह बढ़ते जा रहे है। एक ऐसे कानून की जरूरत थी जो इसको नियंत्रित कर सके, जिसमें साफ़ साफ़ लिखा हो की हम क्या कर सकते हैं और क्या नहीं कर सकते। इसी कमी को देखते हुए सरकार ने यह बिल २५ जनवरी को पारित किया है। आज हम जानेंगे की इस बिल के नियम क्या है, सरकार द्वारा डोनर एग्स को लेकर बनाये गए नियम, सरोगेसी के क्षेत्र में आने वाले बदल, इस बिल का उल्लंघन करने से क्या क्या सजाएं IVF अस्तपा
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जलदी से गर्भधारणा कैसे कर लें

  गर्भ धारण करने से पहले ये कुछ बातें जान लें: गर्भवती होने के लिए जितनी कम आप की उम्र है उतना बेहतर रहेगा क्योंकि बढ़ती उम्र के साथ प्रजनन क्षमता कम होती हैं। संबंध रखने की फ्रीक्वेंसी एक दिन छोड़कर या हर २ दिन में एक बार रखें। माहवारी के पांचवे दिन से पंद्रहवे दिन तक एक दिन छोड़कर संबंध रखें। अपनी माहवारी के साईकल को अच्छी तरह से समझें जिससे आप को सर्वाधिक प्रजननशील काल (fertile window) का पता चलें। अगर आप की माहवारी अनियमित हो तो गायनेकोलोजिस्ट के पास जाकर आतंरिक सोनोग्राफी करवायें। ओव्ह्युलेशन किट पर निर्भर ना रहें। विज्ञान बताता है कि गर्भधारणा का सही समय ओव्ह्युलेशन से ४८ घण्टे पहले होता है। इस प्रक्रिया को कुछ समय दे। दंपती का पूरे माह का प्रजनन दर केवल १५-२० % होता है। यदि १, २, या ३ महीने बाद गर्भ धारण नहीं हो रही हो तो फिर भी कोशिश जारी रखें ; यदि एक साल के बाद भी गर्भ धारण ना हो तो डॉक्टर के पास जाकर सलाह लेने की आवश्यकता है। अगर महिला की उम्र ३५ से ज्यादा है तो ६ महीने के बाद जाकर सलाह लें। इसके साथ जीवन शैली पर भी ध्यान दे: वजन को साधारण BMI रेंज में रखे ३०-४५ मिनिट का मर्याद

गोद लेने की प्रक्रिया - जानिए, समझिए, संतानसुख प्राप्त कीजिए! भाग २: बच्चा गोद लेने के लिए आवश्यक दस्तावेज

  गोद लेने की प्रक्रिया - जानिए ,  समझिए, संतानसुख प्राप्त कीजिए! भाग २: बच्चा गोद लेने के लिए आवश्यक दस्तावेज   पिछले भाग में हमने देखा कि गोद लेने की प्रक्रिया से संबंधित कौन से कानून हैं| इस भाग में हम देखेंगे कि इस प्रक्रिया के लिए कौन से दस्तावेजों की आवश्यकता होती है | कारा के संकेतस्थल पर पंजीकरण करते समय ,  कई तरह के सवाल पूछे जाते हैं| आप का पहला प्राकृतिक रूप से पैदा हुआ एक बच्चा हो ,  तो भी आप दूसरा गोद ले सकते हैं| लेकिन अगर आप के तीन प्राकृतिक बच्चे हैं तो आप गोद नहीं ले सकते| आप एकल अभिभावक हो ,  शादीशुदा हो या ना हो ,  आप बच्चा गोद ले सकते हैं| गोद लेने की प्रक्रिया में आवश्यक दस्तावेज: ·           आप का जन्म प्रमाणपत्र ·           आप का पहचान प्रमाणपत्र: पैनकार्ड ,  आधारकार्ड आदि ·           शादीशुदा हो तो शादी का प्रमाणपत्र या वकील द्वारा प्रमाणित वेडिंग कार्ड ·           आप की वैद्यकीय स्थिति का डॉक्टर के दस्तखत ,  स्टँप और पंजीकरण क्रमांक के साथ दिया हुआ प्रमाणपत्र जो दर्ज करें कि आप बच्चे की परवरिश करने में सक्षम हैं ·           पिछले दो साल के करपत्र ·           गो

गोद लेने की प्रक्रिया - जानिए, समझिए, संतानसुख प्राप्त कीजिए! भाग १: बच्चा गोद लेने से पहले ...

 गोद लेने की प्रक्रिया - जानिए, समझिए, संतानसुख प्राप्त कीजिए! भाग १: बच्चा गोद लेने से पहले ... एक सुनहरा मार्ग संतानहीनता के विषय में चर्चा करते हुए, कई बार समस्या, कारण, उपचार के विषय में जब बातें होती हैं तो IVF पर आकर चर्चा रुक सी जाती है| ऐसा देखने को मिलता है कि दंपती अडॉपशन याने गोद लेने के विकल्प के विषय में सोचते ही नहीं हैं| वास्तविक रूप में देखा जाए तो परिवार बनाने का यह एक बेहद ही खूबसूरत मार्ग है| उपचार के विषय में जानने के साथ ही गोद लेने की प्रक्रिया के विषय में जानना हर दंपती के लिए उतना ही जरूरी है| परिवार की भूमिका संतानहीनता से झूंझने के पूरे सफर में उपचार हो या गोद लेने की प्रक्रिया हो, परिवार का सहयोग और स्वीकृति बहुत महत्वपूर्ण होते हैं| केवल माता या केवल पिता की इच्छा से गोद लेना बराबर नहीं| जब तक पूरे परिवार की स्वीकृति ना हो; तब तक गोद लेने की प्रक्रिया नहीं करनी चाहिए| गोद लेने से संबंधित कानून पहले तो ‘हामा’ कानून के अनुसार हिंदू दंपती हिंदू बच्चा ही गोद ले सकती थे| इस कानून में बच्चे की वैद्यकीय जाँच का भी कोई कलम नहीं था| पर अब जो जे जे कानून लागू हुआ है,

बार बार गर्भपात? क्या सावधानी लें?

 बार बार गर्भपात? क्या सावधानी लें? गर्भाधान एक आनंददायक अनुभव होता है| लेकिन कई बार कई दंपतियों में गर्भाधान तो हो जाता है पर प्रेग्नंसी आगे बढ़ नहीं पाती| गर्भाधान हो जाने के कुछ हफ़्तों बाद ही गर्भपात हो जाता है| जाहीर है, ऐसे दंपती निराश और परेशान तो हो ही जाते हैं और साथ ही उनके मन में यह सवाल आता रहता है कि आखिर क्यों होता है बार बार गर्भपात? इस ब्लॉग में जानिए: ·         बार बार गर्भपात होने के कारण क्या है? ·         इस स्थिति का निदान कैसे किया जा सकता है? ·         इसका इलाज क्या है? रिकरंट या बार बार होनेवाले गर्भपात के कारण: यदि किसी महिला का २ या अधिक बार लगातार गर्भपात हो जाता है तो उसे रिकरंट गर्भपात की स्थिति समझी जाती है| १ % दंपती में यह स्थिति देखी जाती है| इसके तीन कारण होते हैं: बीज, जमीन और वातावरण से संबंधित कारण याने: १.      जब गर्भाधान होता है तो भ्रूण स्वस्थ होना चाहिए २.      बच्चेदानी स्वस्थ और सक्रिय होनी चाहिए ३.      माँ के खून में कोई अँटीबडीज या असामान्यताएँ नहीं होनी चाहिए जब गर्भपात बार बार होता है तो इसमें से एक कारण होता है| गर्भाशय में झिल्ली या सेप

क्यों होता है मिसकॅरेज – जानिए कारण और उपाय!

  क्यों होता है मिसकॅरेज – जानिए कारण और उपाय!   स्वत: गर्भपात या मिसकॅरेज, किसी भी महिला के जीवन में एक बहुत ही पीड़ादायक अनुभव होता है| जब ऐसा होता है तो बारबार एक ही सवाल मन में आता है – क्या ऐसा गर्भपात टाला जा सकता है ? मिसकॅरेज के तीन प्रमुख कारण होते हैं: !. भ्रूण के अंदर कोई खराबी होना २. बच्चेदानी में झिल्ली या कोई बनावटी खराबी होना ३. महिला के खून के अंदर कोई अँटीबडी या गाढापन होना इन तीनों को सीड ,  सॉइल और एन्व्हायरन्मेंट के दोष याने ये भ्रूण ,  बच्चेदानी और भ्रूण के आसपास के रक्तप्रवाह से जुड़े दोष समझे जाते हैं| ८०% केसेस में भ्रूण के अंदर के दोष की वजह से गर्भपात हो जाता है| शुक्राणु और अंडे के मिलन से अंडे का फलन होकर माँ के शरीर के अंदर भ्रूण बनता है| २३ क्रोमोझोम माँ के और २३ पिता के मिलाकर ४६ क्रोमोझोम का एक भ्रूण बनता है| जब ये क्रोमोझोम मिलते हैं तो कभीकभी कुछ टूट जाते है |  इसलिए माता-पिता के क्रोमोझोम नॉर्मल होकर भी मियोसिस प्रक्रिया में होनेवाली किसी खराबी के कारण भ्रूण के अंदर कोई क्रोमोझोम से संबंधित जेनेटिक असाधारणता उत्पन्न हो जाती है| शरीर में जितने भ्रूण बनत

गर्भपात क्यों होता है?

 गर्भपात क्यों होता है? गर्भपात की समस्या बहुत ही आम है| गर्भावस्था के पहले छ: महीनों में यदि ब्लीडिंग होकर गर्भावस्था खंडित हो जाती है तो उसे गर्भपात कहा जाता है| कई बार मेडिकल टर्मिनेशन भी किया जाता है| जब अनचाहा गर्भ होता है या बच्चे में कुछ जन्मजात दोष होता है तो ऐसे मामलों में वैद्यकीय गर्भपात किया जाता है| लेकिन कुछ केसेस में यह क्रिया अपने आप हो जाती है| गर्भावस्था पूरी नहीं हो पाती| लगभग १०-२०%  महिलाओं में गर्भपात होते हैं| अगर महिला की उम्र ३५ से अधिक हो तो उम्र बढने से तंदुरुस्त गर्भ का विकास होना मुश्किल हो जाता है और इस वजह से गर्भपात होते हैं| प्राकृतिक रूप से गर्भ का विकास रुक जाता है और ब्लीडिंग होकर गर्भपात हो जाता है| गर्भपात के दो प्रमुख कारण होते हैं: ·         फीटल कारण, याने भ्रूण में दोष: भ्रूण में कुछ दोष, कमी या विकृति हो तो प्राकृतिक रूप से ही उसका विकास नहीं हो पता और गर्भपात हो जाता है| ·         मॅटरनल कारण, याने माँ के शरीर में समस्या: अगर बच्चेदानी में झिल्ली होन या लायनिंग में गठान या फायब्रॉईड हो या माँ के खून में ऐसे कोई लक्षण हो जिससे खून में गठानें य