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क्यों होता है मिसकॅरेज – जानिए कारण और उपाय!

 क्यों होता है मिसकॅरेज – जानिए कारण और उपाय!

 

स्वत: गर्भपात या मिसकॅरेज, किसी भी महिला के जीवन में एक बहुत ही पीड़ादायक अनुभव होता है| जब ऐसा होता है तो बारबार एक ही सवाल मन में आता है – क्या ऐसा गर्भपात टाला जा सकता है?

मिसकॅरेज के तीन प्रमुख कारण होते हैं:

!. भ्रूण के अंदर कोई खराबी होना

२. बच्चेदानी में झिल्ली या कोई बनावटी खराबी होना

३. महिला के खून के अंदर कोई अँटीबडी या गाढापन होना

इन तीनों को सीड, सॉइल और एन्व्हायरन्मेंट के दोष याने ये भ्रूण, बच्चेदानी और भ्रूण के आसपास के रक्तप्रवाह से जुड़े दोष समझे जाते हैं| ८०% केसेस में भ्रूण के अंदर के दोष की वजह से गर्भपात हो जाता है| शुक्राणु और अंडे के मिलन से अंडे का फलन होकर माँ के शरीर के अंदर भ्रूण बनता है| २३ क्रोमोझोम माँ के और २३ पिता के मिलाकर ४६ क्रोमोझोम का एक भ्रूण बनता है| जब ये क्रोमोझोम मिलते हैं तो कभीकभी कुछ टूट जाते है| इसलिए माता-पिता के क्रोमोझोम नॉर्मल होकर भी मियोसिस प्रक्रिया में होनेवाली किसी खराबी के कारण भ्रूण के अंदर कोई क्रोमोझोम से संबंधित जेनेटिक असाधारणता उत्पन्न हो जाती है|

शरीर में जितने भ्रूण बनते हैं वे सभी नॉर्मल नहीं होते| कुछ भ्रूणों में जेनेटिक या क्रोमोझोमल असाधारणता होती है जो जीवन के लिए लाभदायक नहीं होती| ऐसा जीव ज्यादा टिक नहीं पाता| यदि प्रेग्नंसी बढ भी जाए तो आनेवाले बच्चे में गहरे शारीरिक या मानसिक दोष आ सकते हैं| असाधारण भ्रूण का विकास प्रकृति ही रोक देती है और इससे गर्भपात हो जाता है| यदि इस प्रकार का गर्भपात हो तो उसे रोकना मुमकिन नहीं| १०० में से १५-२० प्रतिशत लेसेस में भ्रूण के दोष से गर्भपात हो जाता है| किसी भी सहायक दवाई, टीके या विश्राम से ऐसा गर्भपात नहीं रोका जा सकता|

क्या ऐसे भी कोई कारण होते हैं, जहाँ गर्भपात रोका जा सकते है? जी हाँ, जरूर रोका जा सकता है!

उपर्युक्त तीन कारणों में से दुसरे या तीसरे मामले में गर्भपात से बचाव संभव है|

कौनसी समस्या की वजह से गर्भपात होता है:

१.       सेप्टम याने बच्चेदानी में झिल्ली होना| ऐसा होने से छ: से आठ हफ्तों में गर्भपात हो जाता है| इस स्थिती को बडी आसानी से हिस्टेरोस्कोपी से दूरबीन की मदद से, बिना शस्त्रक्रिया के ठीक किया जा सकता है| सेप्टम निकालने के बाद ८०-९० % केसेस में सुचारू रूप से प्रेग्नंसी आगे बढती है|

२.       सर्व्हायकल इनएफिशिअन्सी याने बच्चेदानी का मुँह ढीला होना| ऐसे केसेस में सर्व्हिक्स के मुख पर टाका लगाकर प्रेग्नंसी बचायी जा सकती है|

३.       बच्चेदानी में स्थित फायब्रॉइड या अढेजन की समस्या का भी इलाज दूरबीन से किया जा सकता है और गर्भपात रोका जा सकता है|

४.       शरीर के अंदर अँटी फोस्फोलिपिड अँटीबॉडीज होती हैं| यह कारण कम लोगों को पता होता है| ये तीन या तीन या चार प्रकार की होती हैं| हमारे ब्लड व्हेसल्स के अंदर फोस्फोलिपिड आवरण होता है जिससे खून का प्रवाह बराबर चलता रहता है| जब अँटी फोस्फोलिपिड अँटीबॉडीज बनती है तो वे खून के अंदर जगह जगह पर क्लॉट निर्माण करती हैं| इन गठानों के कारण, विकसनशील भ्रूण को रक्त का प्रवाह कम मिलता है और ऐसे केसेस में कई बार गर्भपात हो जाता है, भ्रूण का विकास धीमा हो जाता है या कभीकभी माँ का ब्लडप्रेशर बहुत बढ जाता है| इसका इलाज आसानी से संभव है| ऐसी समस्या से ग्रस्त महिलाओं को खून को पतला करने की और इकोस्पिरिन गोली दी जाती है और गर्भपात रोका जा सकता है|

५.       जीवनशैली से संबंधित भी कुछ कारण होते हैं| प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष स्मोकिंग, वजन का अनुपात से ज्यादा होना, शराब लेना; ये सब गर्भपात के लिए पूरक कारण हैं|

६.       अधिक उम्र में गर्भाधान होनेवाली महिलाओं में भी गर्भपात का खतरा अधिक होता है|

सही समय पर सलाह और वैद्यकीय सहायता से कई प्रकार के गर्भपात रोके जा सकते हैं| इसलिए इस विषय में जागरूकता लाने की बडी आवश्यकता है ताकि स्वस्थ गर्भावस्था और प्रसूति हो सकें|

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