शुक्राणु की गुणवत्ता कैसे बढ़ाएँ
अक्सर देखा गया है की पुरुषों में जो
संतानहीनता पायी जाती है उसका एक कारण शुक्राणु की यथायोग्य गुणवत्ता न होना, यह
भी है| शुक्राणु की गुणवत्ता कैसे बढाई जा सकती है यह जानने के लिए आगे जरूर पढ़ें|
आज कल स्पर्म की गुणवत्ता में लगातार होती गिरावट दिख रही है और इसीलिए इस विषय के
बारे में जानकारी होना बहुत आवश्यक है| इस बात की ओर गौर किया नहीं जाता और केवल
महिला की ही जाँचें, उपचार किए जाते हैं और
पुरुषों के शुक्राणु की गुणवत्ता के बारे में विचार नहीं किया जाता जो
संतानप्राप्ती के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण घटक है|
शुक्राणु की जाँच करवाते समय, यह जाँच कहाँ की जाती है, यह बात भी बहुत मायने रखती है| टॉयलेट में इकट्ठा किया हुआ वीर्य या आधे घंटे के बाद
की गयी जाँच सही निष्कर्ष नहीं बता सकेगी| इसलिए बहुत जरूरी है की वीर्य की जाँच
ऐसे लैब में कराएँ जो स्टेरलाइज्ड हो और जहाँ WHO के २०१० के मानकों का पालन किया जा रहा हो| अगर गुणवत्ता बढानी है तो
पहली प्राथमिक जाँच पूरी तरह से सही होना बहुत जरूरी है|
पहले हम उन
उपायों के बारे में जान लेंग जो
जीवनशैली से संबंधित है और जिन्हें
अपनाने से नैसर्गिक रूप से शक्राणु की गुणवत्ता बढ़ सकती है:
· जीवनशैली में सुधार:
१. स्ट्रेस को दूर रखना या उसका उचित व्यवस्थापन करना, अच्छी फर्टिलिटी के साथ ही शुक्राणु की गुणवत्ता
बनाये रखने में भी यकीनन महत्वपूर्ण है|
२. तंबाकू का सेवन, धूम्रपान, मद्यपान तथा किसी भी तरह का नशा, शुक्राणु की गुणवत्ता को घटाता है| अगर आप की
वीर्य-जाँच की रिपोर्ट ठीक नहीं आयी हो, तो इन चीजों को बंद कर देना फायदेमंद होगा|
३. नींद की कमी भी शुक्राणु की गुणवत्ता घटाती है|
४. काम की जगह पर बहुत ज्यादा प्रदूषण या उष्ण तपमान हो तो
उसका भी विपरीत असर गुणवत्ता पर पड़ेगा|
५. अगर आप लंबे समय तक लैपटॉप को गोद में रखकर काम करते हो, तो उससे भी टेस्टीस पर प्रभाव होकर, तपमान बढ़ जाता है
और शुक्राणु की गुणवत्ता कम हो जाती है|
६. एक अक्सर नजरंदाज किया जानेवाला कारण है इजाक्युलेशन कम
होना| वीर्य का स्खलन ना होने की वजह से शुक्राणु शरीर के अंदर ही अंदर रह जाते
हैं और उनकी गुणवत्ता कम हो जाती है| इसलिए नियमित रूप से शुक्राणु का वीर्य में स्खलन होना याने फ्रिक्वेंट इजाक्युलेशन होना, नियमित संबंध
रखना जरूरी
है| इससे गुणवत्ता बढ सकती है|
अब देखते हैं कि शुक्राणु की गुणवत्ता बढ़ाने के
वैद्यकीय उपाय क्या है:
· हार्मोनल दवाइयाँ
१. अक्सर फर्टिलिटी का संबंध टेस्टेटेरॉन हार्मोन से जोड़ा जाता
है| आधे अधूरे ज्ञान की
वजह से पुरुष अपने आप ही या केमिस्ट से पूछ कर इस हार्मोन की सप्लिमेंट लेने लगते
है ताकि फर्टिलिटी बढ़े| शुक्राणु की उत्पत्ती में यकीनन टेस्टेटेरॉन का हाथ होता
है लेकिन ऐसे सप्लिमेंट लेने से शरीर की हायपोथॅलेमिक क्रियाओं पर असर पड़ता है और
इससे धीरेधीरे शक्राणु की निर्मिती बंद भी पड सकती है| जो पुरुष बॉडी बिल्डिंग के
लिए दवाई, इंजेक्शन, जेल या अन्य किसी माध्यम से यह
सप्लिमेंट लेते हैं उनकी फर्टिलिटी पर विपरीत परिणाम हो जाता है|
२. १ प्रतिशत पुरुषों में हायपो हायपो अवस्था की वजह से इनफर्टिलिटी
होती है| इस अवस्था में, दिमाग में जो पियूष ग्रंथी होती है उसमें एफएसएच और एलएच
हार्मोन की मात्रा कम बनती है| ऐसी अवस्था में ये दो हार्मोन बाहर से सप्लिमेंट के
रूप में देकर ये हार्मोन बढाए जाते हैं और परिणामत: शुक्राणु की गुणवत्ता और
संख्या बढने लगती है|
३. बगैर-हार्मोन की दवाइयों में सबसे महत्वपूर्ण होते हैं
अँटी-ऑक्सीडंट्स| इन दवाइयों से शरीर में ऑक्सीडेटिव्ह स्ट्रेस के कारण जो मुक्त
रैडीकल निर्माण होते हैं उन्हें नष्ट करके शुक्राणु की गुणवत्ता बढ़ाते हैं| इस
प्रकार की कई दवाइयाँ उपलब्ध हैं| इनमें से को-एन्झाईम-क्यू यह दवाई बहुत ही
उपयुक्त है| इसे मायटोकाँड्रियल एनरजायझर भी कहते हैं| शुक्राणु में
मायटोकाँड्रिया बहुत महत्व रखता है क्यूँकि वह सेल को शक्ती प्रदान करता है| इसीसे
स्पर्म को आगे बढकर बीज का निषेचन करने की शक्ती प्राप्त होती है|
४. दवाई के साथ ही प्रचुर
मात्रा में अँटी-ऑक्सीडंट्स पाने के लिए योग्य आहार होना, ताजे फल तथा सब्जियों का सेवन करना भी आवश्यक है|
इन सब प्रयासों और दवाइयों के बाद भी अगर
स्पर्म की गुणवत्ता ना बढ़े और गर्भधारणा हो नहीं पा रही हो तो ऐसे दंपतियों को भी
निराश होना नहीं चाहिए| उनके लिए टेस्ट ट्यूब बेबी के लिए इक्सी प्रक्रिया से आशा
बनी रहती है|
Comments
Post a Comment