क्या ब्लॉक्ड फॅलोपियन ट्यूब्ज संतानहीनता का कारण हो सकती हैं?
लगातार छ: महीने प्रयास करने के बाद भी अगर प्रेग्नंसी ना रहे तो दंपती को चिंता होने लगती है कि उन्हें संतानहीनता की समस्या तो नहीं? ऐसे में जब डॉक्टर को दिखाया जाता है तो कई तरह की संभावनाओं का विचार करना पड़ता है| अगर शुक्राणु और बीज उत्पादन में कोई समस्या न हो तो सवाल उठता है: क्या महिला में ब्लॉक्ड फॅलोपियन ट्यूब्ज की समस्या है याने क्या इन नालियों में रुकावट है?
फॅलोपियन ट्यूब्ज याने, बच्चेदानी के दोनों तरफ की नलियाँ! इनका काम होता है, अंडकोष से निकलनेवाले अंडे को पकडना और तब तक पकडके रखना जब तक उसका शुक्राणु से फलन ना हो जाए| प्रेग्नंसी की शुरुवात फॅलोपियन ट्यूब्ज से होती है| ये नलियाँ आम तौर पर १० सेंटीमीटर की होती है और इनका जो अॅम्ब्युला नामक भाग होता है उसमें बीज और शुक्राणु मिलकर निषेचन होता है और एम्ब्रियो बनता है जो बाद में यूट्रस में प्रवेश करता है| फॅलोपियन ट्यूब्ज के ब्लॉक जन्मजात नहीं होते| ये ब्लॉक इन्फेक्शन या अन्य किसी समस्या के कारण बाद में पैदा होते हैं और यदि ऐसे किसी कारण से किसी महिला के ट्यूब्स में दिक्कत हो तो प्रेग्नंसी रहने में समस्या आती है|
फॅलोपियन ट्यूब्ज में ब्लॉक या रुकावट होने के कारण:
फॅलोपियन ट्यूब्ज बहुत पतली होती है| उनका अंतर्गत डायामीटर केवल १ मिलीमीटर होता है| ये नलियाँ पेट के अंदर होने के कारण, इनका इन्फेक्शन जल्दी से जाना नहीं जाता लेकिन ऐसे इन्फेक्शन हानी बहुत कराते हैं| फॅलोपियन ट्यूब्ज में प्राय: दो तरह के संसर्ग होते हैं, एक तो यूट्रस की TB जिसके प्रभाव से फॅलोपियन ट्यूब्ज चिपक जाती हैं और जाहीर है की बंद हो जाने के कारण अंडे को पकड़ नहीं पाती| दूसरा इन्फेक्शन है क्लिमायडीया इन्फेक्शन| इससे भी ट्यूब बंद हो जाती हैं| इन्फेक्शन के लक्षण वैसे तो तुरंत दिख जाते हैं परंतु ट्यूब के लक्षण दिखते नहीं और केवल संतानहीनता होने के बाद ही इस बात का पता चलता है जब टेस्ट किए जाते हैं| ये नलियाँ पेट के काफी अंदर के हिस्से में एक छोटासा ऑर्गन होने का कारण, इसके इन्फेक्शन के बाहरी लक्षण स्पष्ट नहीं होते| कभी कभी पेट में कुछ अस्पष्ट दर्द महसूस हो सकता है लेकिन इतना नहीं होता की उसपर ध्यान दिया जाए|
फॅलोपियन ट्यूब्ज की जाँच:
फॅलोपियन ट्यूब्ज में रुकावट है या नहीं यह पता करने के लिए तीन प्रकार की जाँचें होती हैं| यह समस्या साधारण सोनोग्राफी में दिखती नहीं| इसकी एक जाँच है एक्सरे द्वारा (HSG) हिस्ट्रो सॅलपिंकॉग्राफी| इसमें युट्रस में डाय इंजेक्ट किया जाता है और अगर वह दोनों तरफ से ना निकले तो समझ में आता है कि फॅलोपियन ट्यूब्ज में ब्लॉक है| दूसरे तरीके में सोनोग्राफी द्वारा डाय इंजेक्ट किया जाता है पर यह तरीका इतना निश्चित परिणाम नहीं देता| ज्यादातर यह टेस्ट स्क्रीनिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है| तीसरा तरीका है सबसे विश्वसनीय – लॅप्रोस्कोपी (laproscopy) और हिस्टेरोस्कोपी (hysteroscopy)| इसमें पेट के अंदर दूरबीन डालकर आँखों से ट्यूब्ज को, उनकी लंबाई, स्थिती, खराबी सब कुछ देखा जा सकता है और कितना ब्लॉक है यह भी देखा जा सकता है| साथ ही ५०-६० प्रतिशत केसेस में परीक्षण करते समय ही ब्लॉक को खोला भी जा सकता है
उपचार:
जिन महिलाओं में फॅलोपियन ट्यूब्ज की रुकावट की वजह से संतानहीनता की समस्या पायी जाती है उनके लिए laproscopy से ब्लॉक खोलकर नैसर्गिक रूप से गर्भधारणा का प्रयास करना यह एक संभावना है| लेकिन अगर ब्लॉक खुलने की संभावना नहीं तो ऐसे दंपतियों के लिए टेस्ट ट्यूब बेबी याने आयव्हीएफ एक अच्छा पर्याय है क्यूँकि इसमें फॅलोपियन ट्यूब्ज को बायपास करके शरीर के बाहर फलन करवाकर फिर एम्ब्रियो को बच्चेदानी में छोड़ा जाता है|अगर फॅलोपियन ट्यूब्ज में पार्शियल ब्लॉक हो, तो शुक्राणु छोटा होने के कारण ट्यूब में जाकर फलन हो सकता है लेकिन प्रेग्नंसी बाहर ही ट्यूब में बढने लगती है क्यूँकि रुकावट की वजह से भ्रूण यूट्रस तक सफर नहीं कर पाता| ऐसी एक्टोपिक प्रेग्नंसी में बहुत खतरा हो सकता है और योग्य सलाह और सावधानी लेना बहुत आवश्यक है|
क्या सावधानी लें?
फॅलोपियन ट्यूब्ज के ब्लॉक का माहवारी की नियमितता पर कोई असर नहीं होता और पीसीओडी का भी इस रुकावटों से कोई संबंध नहीं| संतानहीनता की समस्या की वजह से जब ट्यूब्ज के ब्लॉक का पता लगता है तो तुरंत उपचार करवाना बेहद आवश्यक है| इस उपचार में समय महत्वपूर्ण होता है क्यूँकि समय के साथ ब्लॉक बढ़ते जाते हैं, इन्फेक्शन अन्य अवयवों में फैलकर और भी समस्याएँ निर्माण हो सकती हैं| इसलिए सबसे महत्वपूर्ण सावधानी है सही समय पर उपचार लेना|
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