प्रेग्नंसी का नियोजन कैसे करें?
जिंदगी के सारे मुकामों के लिए हम बड़ा नियोजन करते हैं, चाहे पढाई हो या शादी ब्याह; लेकिन अक्सर यह देखा जाता है कि दंपती के जीवन में और खास कर महिला के शरीर में जिस बात से सब से महत्वपूर्ण बदलाव आता है उस गर्भधारणा के विषय में बिलकुल नियोजन नहीं किया जाता| आज भी ज्यादातर दंपतियों में प्रेग्नंसी हो जाती है और फिर डॉक्टर से सलाह ली जाती है| वास्तव में प्रेग्नंसी या गर्भधारणा जैसी महत्वपूर्ण घटना यदि सुनियोजित की जाए तो स्वस्थ गर्भावस्था और स्वस्थ शिशु दोनों मुमकिन हो सकते हैं| इसी विषय में हर दंपती को चाहिए की ये कुछ बातें ध्यान में रखें:
· प्रि- प्रेग्नंसी चेक-अप
· प्रेग्नंसी का नियोजन करने से पूर्व क्या करना चाहिए
· प्रेग्नंसी का नियोजन करते वक्त क्या बिलकुल नहीं करना चाहिए
इन्हीं बातों को विस्तार से समझने के लिए आगे जरूर पढ़ते रहिए!
· प्रि-प्रेग्नंसी चेकअप एक बहुत ही आवश्यक बात है जिसमें कई तरह की जाँचें की जाती है जिससे स्वस्थ गर्भधारणा और गर्भावस्था संभव हो जाते हैं| आज कल हर परिवार में १ या २ ही बच्चे होते हैं तो बच्चे का स्वस्थ और तंदुरुस्त होना बहुत जरूरी है| प्रेग्नंसी प्रि-चेक अप की कल्पना हमारे समाज में अभी भी नयी है लेकिन इसे अपनाना दिन-ब-दिन बहुत आवश्यक हो रहा है| ऐसी जाँच में शारीरिक तंदुरुस्ती, जीवनशैली विषयक कुछ समस्याएँ इन सभी का समाधान किया जाता है| इस चेक-अप में सब से पहले दंपती का वैद्यकीय इतिहास याने मेडिकल हिस्ट्री ली जाती है| महिला में अगर कोई समस्याएँ हैं, जैसे कि ज्यादातर पाया जानेवाला थायरॉइड या हायपो-थायरॉयडिझम या पीसीओएस (पाँलिसिस्टिक ओव्हरी सिंड्रोम) तो ऐसी अवस्थाओं में आवश्यक सावधानियाँ ली जा सकती है| आजकल प्रेग्नंसी के बारे में विचार करने की उम्र बढ़ गयी है| इस कारण से दंपती में से किसी एक को भी अगर हायपर टेंशन या शुगर की दवाई शुरू हो तो प्रेग्नंसी में बाधा आ सकती है| अगर पहले जाँच की जाए तो ऐसी अन्य समस्याओं को पहले नियंत्रण में लाया जाता है, उचित लेव्हल निश्चित किये जाते हैं, दवाइयों की मात्रा या प्रकार बदलकर गर्भधारणा के अनुकूल किया जाता है| इन सावधानियों से गर्भधारणा की संभावनाएँ बढ़ जाती है और गर्भावस्था भी स्वस्थ होती है| ऐसी जाँचें किए बिना यदि थायरोंइड या शुगर के लेव्हल सही ना होते हुए प्रेग्नंसी रह जाती है तो होनेवाले शिशु में कई प्रकार की असाधारणताएँ हो सकती हैं| अगर महिला हायपर टेंशन की दवाइयाँ ले रही है और अनजाने में प्रेग्नंसी रह जाए तो शिशु में किडनी की समस्याएँ होने की पूरी संभावनाएँ होती हैं| साथ ही अगर दंपती को या किसी एक को भी तमाखु, हुक्का, धूम्रपान या अन्य कोई नशा या शराब पीने की आदत होती है तो उससे भी गर्भधारणा में और बच्चे के दिमागी विकास में पहले तीन महीनों में कई समस्याएँ हो सकती हैं| इसलिए पेग्नंसी का उचित नियोजन करके गर्भधारणा से पहले जाँचें करना जरूरी है|
· प्रेग्नंसी का नियोजन करते हुए किन बातों पर गौर करना चाहिए? सब से महत्वपूर्ण है उम्र! आज कल शादी देर से होती है, करियर स्टेबल होने के बाद दंपती बच्चे के बारे में सोचते हैं और इससे नैसर्गिक फर्टीलिटी की जो ऊम्र होती है वह निकल जाती है| इसलिए जागरूकता से प्रेग्नंसी बहुत ज्यादा स्थगित नहीं करनी चाहिए और जब निर्णय ले तो अगर तुरंत गर्भधारणा न हो तो समय बरबाद किए बिना तुरंत डॉक्टर की सलाह और सहायता लेनी चाहिए| गर्भधारणा का नियोजन करते वक्त, महिला को फोलिक अॅसिड की सप्लीमेंट भी लेनी चाहिए| एक छोटीसी ५ मिलिग्राम मात्रा की गोली लेने से ९० प्रतिशत तक आगे चल के बच्चे की रीढ़ की हड्डी तंदुरुस्ती के विषय में आनेवाली कई समस्याओं का समाधान किया जा सकता है| ये गोलियाँ महँगी भी नहीं होती और कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होते लेकिन इसके लाभ बहुत ज्यादा होते हैं| लेकिन अभी भी लोगों में इस विषय कर बारे में जागरूकता नहीं है और अज्ञान बना हुआ है|
· गर्भधारणा का नियोजन करते समय ऐसी कई बातें होती हैं जिन्हें टालना भी बहुत आवश्यक होता है| ऐसी कौनसी बातें हैं जो नहीं करनी चाहिए? कुछ दवाइयों पर कॅटेग्ररी एक्स लिखा हुआ होता है| ऐसी दवाइयों से गर्भ को हानी हो सकती है| इसलिए प्रेग्नंसी का नियोजन करते समय ऐसी दवाइयाँ टालनी चाहिए| साथ ही प्रेग्नंसी होने की खबर ना होते हुए जब उस दौरान अनजाने में एक्सरे की जाँच, खासकर पेल्विक एरिया का या रीढ़ की हड्डी का एक्सरे करवाया जाए तो उससे भी शिशु के स्वास्थ्य को हानी हो सकती है| इसलिए ऐसी जाँचें करनी हो और प्रेग्नंसी नियोजित हो तो माहवारी खत्म होने के दस दिनों के अंदर ऐसी जाँचें करवानी चाहिए| एअरपोर्ट पर जो स्क्रीनिंग होती है, उससे कोई हानी नहीं होती लेकिन एक्सरे से निश्चित ही हानी हो सकती है|
प्रेग्नंसी को सही आयु में और सही जाँचें करके नियोजित किया जाए तो गर्भधारणा होने में भी आसानी होती है और शिशु भी स्वस्थ और तंदुरुस्त पैदा होता है जो बहुत आवश्यक है| अगर किसी दंपती को, सारी जाँचें ठीक होते हुए भी ६ माह प्रयास करने के बाद भी गर्भधारणा न हो तो उन्हें और अधिक इंतजार किए बिना तुरंत वैद्यकीय उपाय शुरू कर देने चाहिए| जब संतानहीनता के कोई दृश्य कारण सामान्य जाँचों में नहीं दिख रहे हो तो लॅप्रोस्कोपी करके सूक्ष्म स्तर पर कोई समस्या हो तो उसे ढूँढकर निश्चित करना पड़ता है| अगर शुक्राणु और बीज दोनों सही हो और फिर भी गर्भधारणा न हो तो आययूआय या आयवीएफ़ जैसे कई प्रगत उपचार आजकल उपलब्ध हैं जिससे दंपती को संतानसुख प्राप्त हो सकता है| इसलिए इस विषय में जागरूक होकर, प्रेग्नंसी का सही नियोजन करना चाहिए और समस्याओं का समाधान प्राप्त करने के लिए तज्ञों से सलाह और सहायता जल्द से जल्द लेनी चाहिए|
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