गर्भाधान की पूर्वतैयारियाँ
प्रेग्नंसी होने के बाद डॉक्टर को दिखाने के लिये आनेवाले दंपतियों में एक बात समान होती है − ज्यादातर दंपती आकस्मिक रूप से गर्भाधान हो जाने के बाद ही डॉक्टर के पास आते हैं| वास्तविक, गर्भाधान हर व्यक्ती के जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना है और इसके लिए सामाजिक, शारीरिक, आर्थिक, मानसिक तैयारी करके यह निर्णय लेना बहुत आवश्यक है|
जैसे कि विवाह से पहले हम पूछताछ करते हैं, कुंडलियों का और अन्य बातों का मेल परखते हैं, वैसे ही गर्भाधान के विषय में जागरूकता दिखाना भी आवश्यक है| यदि दंपती, गर्भाधान का निर्णय विचारपूर्वक लें और प्रयास करने से पहले डॉक्टर से मिलें तो कई समस्याओं का समय पर समाधान किया जा सकता है| इससे गर्भावस्था और प्रसूती सुरक्षित होती है और जच्चा-बच्चा स्वस्थ रहते हैं| परिवार शुरू करने से पहले जैसे नये जीव के स्वागत के लिए मानसिक तैयारी, साथ ही आर्थिक तैयारी करना जरूरी है, वैसे ही उत्तम गर्भावस्था के लिए कुछ वैद्यकीय तैयारियाँ करना भी आवश्यक होता है|
वैद्यकीय तैयारियाँ:
१. गर्भाधान के पहले डॉक्टर की एक व्हिजिट अवश्य करें: इस प्री-प्रेग्नंसी व्हिजिट में आप की मेडिकल हिस्ट्री देखकर समस्याओं पर समय पर इलाज किया जा सकता है| अगर आप कुछ दवाइयाँ पहले से ले रहे हो तो यह देखना पडता है कि ऐसी दवाइयाँ भ्रूण के लिए सुरक्षित हैं या नहीं| जरूरत पडने पर उनकी मात्रा में बदलाव करना पडता है| जैसे कि, थायरॉइड की दवाई! स्वस्थ गर्भाधान और गर्भावस्था के लिए थायरॉइड हार्मोन्स के लेव्हल नॉर्मल होना आवश्यक है| प्री-प्रेग्नंसी व्हिजिट में ऐसी बातों पर ध्यान दिया जाता है और उचित उपाययोजना की जाती है|
२. अगर महिला को धूम्रपान या मद्यपान करने की आदत है तो गर्भाधान के लिए प्रयास करते समय इन बातों को टालना बेहद जरूरी है|
३. कई बार महिलाएँ मुहासों के लिए या ऐसी कुछ समस्याओं के लिए जो दवाइयाँ लेती रहती हैं, वे भ्रूण के लिए सुरक्षित नहीं होती| प्री-प्रेग्नंसी व्हिजिट में यदि डॉक्टर को इन सारी बातों के बारे में बता दें तो वे उचित सलाह दे सकते हैं|
४. गर्भाधान के लिए प्रयास करने से पूर्व, कुछ जाँचें अनिवार्य होती हैं| ये कम्पलसरी टेस्ट हैं, हिमोग्लोबिन, रूबेला आदि की जाँच| (१) गर्भावस्था के पहले हिमोग्लोबिन की लेव्हल ११ या उससे अधिक होनी चाहिए| (२) साथ ही रूबेला रोगप्रतिरोधक क्षमता की जाँच भी जरूरी है| यदि महिला को प्रेग्नंसी में रूबेला हो जाता है तो उसका शिशु के विकास पर विपरीत असर होता है| (३) थॅलेसेमिया का निदान: यह टेस्ट करवाना भी अनिवार्य है क्योंकि अगर यह समस्या हो तो प्रेग्नंसी में कई प्रकार की विशेष सावधानियाँ लेनी पडती है| (४) शुगर भी नियंत्रण में होना स्वस्थ गर्भावस्था और प्रसूती के लिए आवश्यक है| (५) साथ ही, पती-पत्नी को HIV, Hepatatis बी की बीमारी ना होने की पुष्टी करने के लिए जाँच करवाना भी अनिवार्य है|
५. Pre-conception विटामिन: प्री-प्रेग्नंसी व्हिजिट में डॉक्टर कुछ ऐसे विटामिन लेने की सलाह देंगे जो शिशु के विकास के लिए जरूरी होते हैं| जैसे कि फोलिक अॅसिड! न्यूरल डिफेक्ट रोकने के लिए, रीड की हड्डी के उचित विकास के लिए ये सप्लीमेंट जरूरी होते हैं|
इन सभी बातों को ध्यान में लेते हुए, गर्भाधान का विचारपूर्वक नियोजन करना और सही दिशा में सावधानियाँ लेना और तैयारियाँ करना माँ और शिशु दोनों के लिए लाभदायक होता है| पूर्वनियोजित गर्भाधान हो तो गर्भावस्था सुखकर और सुरक्षित होगी!
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